Thursday, December 9, 2010

EDUCATE THE PEOPLE

If you give a man a fish, he will eat once.
If you teach a man to fish, he will
eat for the rest of his life.


If you are thinking a year ahead,
sow seeds.
If you are thinking ten years ahead
plant a tree.
If you are thinking one hundred years
ahead, educate people.


By sowing seeds, you will harvest once.
By planting a tree, you will harvest ten folds.
By educating the people you will harvest
one hundred fold.



KEEP YOUR HEAD COOL !!!

"Keep your head cool"                                       
               says the ice.
"Be firm and solid"

      says the mountain.
"Be up-to-date"
         says the calender.
"Don't be shallow"
       says the ocean.
"Generate more light & heat"
       says the sun.
Never loose your Goodness"
         says the God.

Monday, September 13, 2010

EVALUATION- within a new Frame

                                   
Continuous and Comprehensive evaluation

Kind of a dawn and a real revolution.
Ensuring a child to develop and grow,
Churning talents and strength to know.

             Academic excellence only a part
                           Manifest hidden, to complete smart.
                                        Reading, writing comprehending concepts,
                                 Group discussion enlightening aspects.

            Formative Assessment to help a soul
           Deciding requirement, defining role.
                   Sports and Music, emotions and thought
                           Summative horizon for teachers and taught.


            Needs conventional testing to chang
          Grading indicators marking a bench.
        Requires outlook, mindset to see
To accept the system CCEEEEEEEEEEEEEE.










                                                                 
                                               

Monday, September 6, 2010

दिल का टुकड़ा......

दिल का टुकड़ा........
मैं एक अत्यंत भाग्यशाली नारी संतति हूँ। अभी मेरा जन्म नहीं हुआ है। एक बहुत ही प्यारी-सी माँ की कोख में पल रही हूँ। ईश्वर की कायनात में आने से पहले से ही मुझे पता है कि मुझसे बड़ी मेरी दो बहनें और हैं। हालाकि मेरी मम्मा ने दादा-दादी, नाना-नानी समेत घर के बड़ों की मनोकामना पूरी करने के लिए मुझे यानि एक और संतान को जन्म देना स्वीकार किया था, ताकि परिवार पूरा हो जाए।जिसमें दोनों बहनों के साथ भाई भी हो।जब तक उन्हें पता नहीं था कि उनकी कोख में पल रही मैं बेटा नहीं, बेटी हूँ, मुझे लेकर मम्मा ने जाने कितने सपने सँजोए थे........ दीदियों का भाई आएगा, दादा-दादी के सपनों का राजदुलारा आएगा, बुआजी का प्यारा भतीजा आएगा, नाना-नानी का दुलारा नवासा आएगा..... आदि-आदि। मैं सबकी मनोकामनाएँ पूरा करने वाली थी।
मुझे भीतर ही भीतर डर लग रहा था कि मेरे जन्म लेने से पहले ही कहीं मेरी माँ का दिल टूट जाए, मेरे अस्तित्व के बारे में जानकर। कहीं वे मुझसे नफ़रत करने लगें, मुझे जन्म देने से पहले ही। कहीं बुआजी और मामीजी के तानें को सुनकर कमज़ोर पड़ जाएँ, मेरे आने से पहले ही।
पर मुझे एहसास हुआ कि मेरी माँ दुनिया की सबसे अच्छी, सबसे खूबसूरत माँ हैं। वे ऐसी माँ कि सारे सपनों के बावजूद बुआजी की नाराज़गी का डटकर मुकाबला किया। मेरे लिए उल्टा उन्हें खरी-खोटी सुनाई दादीजी को मेरे बारे में बताते समय ज़रा भी नहीं डगमगाईँ दीदियों को मुझे खूब प्यार से रखने को समझाती रहतीं हैं। खुश होकर सबको बताती रहती हैं कि मैं तीन बेटियों से तीन और परिवार पाउँगी।न जाने कितने ऐसे खुशनसीब माता-पिता का नाम गिनवाती हैं जो मेरे परिवार की तरह ही तीन बेटियों वाले हैं। माँ बेटे-बेटियों के बीच का अंतर सिर्फ़ खत्म नहीं करतीं बल्कि बेटियों के निश्चल प्यार, नि:स्वार्थ स्नेह को बेटों की तुलना में कहीं ऊँचा बताती हैं।
मैं एक ऐसी माँ की बच्ची बनने वाली हूँ जिन्होने मेरे स्वागत में दुनियाभर को एक तरफ़ कर दिया है और मुझे अपनी तरफ़।
और पापा ! उनके लिए तो मेरे पास शब्द ही नहीं हैं। मैने अपनी माँ को कहते सुना कि मेरे पापा आत्मा से बेहद खूबसूरत आदमी हैं। माँ को काम करने में तकलीफ़ हो या मुझे किसी तरह का नुकसान हो इसके लिए झट से घर में नौकर की व्यवस्था कर दी। दिनभर काम से थके होने पर भी दीदी को ट्यूशन छोड़ने और लेने खुद जाते हैं। मेरे लिए माँ को प्यार से समझाते हैं। मैं जान गई हूँ कि मेरे पापा दुनिया के सबसे अच्छे पापा हैं।
मैं भी बड़ी होकर मम्मी-पापा का नाम रोशन करुँगी। बुआजी और घर के सभी को दिखा दूँगी कि I am the pride of my dearest Mom & Dad.
माँ ने मेरे रूप - रंग के बारे में अभी से कल्पना करनी शुरु कर दी है। सुंदर सी पिंक फ्राक में पइया-पइया चलती हुई, झबले में फ़र्श पर घुटने रेंगती हुई, भूख लगने पर ज़ोर-ज़ोर से रोती हुई, पालने में सोते-सोते आँख बंद मुस्कुराती हुई, पापा की गोद मे जाने के लिए नन्हें-नन्हें पाँवों से दौड़ती हुई या थोड़ी बड़ी होने पर कार में पीछे की सीटपर दोनों बहनों के साथ बैठी हुई......... आदि-आदि अभी तो मैं माँ के पेट में ही हूँ, फिर भी माँ अपने हाथों से ही सहलाकर प्यार कर लेती हैं। मैं जानती हूँ कि जब कभी भी किसी कारण से मैं रातों में रोया करुँगी तो माँ भी परेशान होकर रात भर मेरे साथ ही जगेंगी मैं सुसु कर गीले में पड़ी रहूँगी तो झट अपनी जगह मुझे सुला देंगी। मेरे लिए हर समय दूध, सेरेलक, फ्रूटजूस सबका इंतजाम समय से पहले से करेंगी। कुछ तक़लीफ़ होने से तुरंत डॉक्टर के पास पहुँचेंगी।
माँ! देखना मैं भी आपका नाम रोशन करूँगी बड़ी होकर आपकी सेवा करूँगी पढ़-लिखकर हम तीनों बहनें एक दूसरे के सुख-दुख में साथ देंगी पापा के काम में हाथ बटाएंगी।
हालाँकि आप खुद ही समर्थ रहेंगी फिर भी हमेंशा आपका दाहिना हाथ बनकर रहूँगी- बेटे की तरह ही या उससे भी ज़्यादा
माँ ! जैसे आज मुझे एहसास हो रहा है कि – My Mom and Dad are the best in the world !!! आपको भी एक दिन ज़रूर लगेगा कि मैं आप लागों की …... गरिमा हूँ।
- आपके दिल का टुकड़ा।